Pankaj Pandey, Kanpur Bureau: एसपी पश्चिम अनिल कुमार आईपीएस अफसर होने के साथ ही डॉक्टर भी हैं। यूपीएससी के सिविल सर्विसेज परीक्षा के इंटरव्यू में उनसे पहला सवाल यही किया गया था कि डॉक्टर होने के बावजूद सिविल सर्विसेज में क्यों जाना चाहते हैं? शायद सटीक जवाब अब मिला है।
आईपीएस अफसर के साथ ही वह डॉक्टर अनिल कुमार के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। परदे के पीछे से वह सभी चिह्नित हॉटस्पॉट में लोगों को संक्रमण से बचाव के उपाय बता रहे हैं। उनके अनुभव को देखते हुए डीआईजी ने कोरोना सेल प्रभारी भी बनाया है। डॉक्टर अनिल कुमार ने डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर से एमबीबीएस करने के बाद कुछ दिनों तक गुरु तेगबहादुर अस्पताल, नई दिल्ली में काम भी किया है। वह मूलत: राजस्थान में झुंझनू जिले के अलसीसर के रहने वाले हैं। इनकी बहन डॉ. मंजू ने भी एमबीबीएस करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा पास की। वर्तमान में राजस्थान कैडर की आईएएस अफसर हैं।
कोरोना का कहर बढ़ा तो सबसे बड़ा सवाल उठा कि यदि किसी कोरोना संक्रमित की मौत होगी तो शव का निस्तारण कैसे होगा। डॉ. अनिल ने इसका रास्ता बताया। तिरपाल की मदद से पोर्टेबल स्ट्रेचर तैयार कराया। इसे एक बार ही इस्तेमाल किया जाएगा। अंतिम संस्कार के साथ ही इसे नष्ट करा दिया जाएगा। एक स्ट्रेचर की लागत 600 रुपए आई है। ऐसे 10 स्ट्रेचर मेडिकल कॉलेज को सौंपे जा चुके हैं।
कोरोना से जूझ रहे अन्य देशों का अध्ययन किया तो पता चला कि संक्रमितों या संदिग्धों की संख्या ज्यादा होने पर ग्रुप टेस्ट भी कराए जा रहे हैं। 20 कोरोना संदिग्धों के सैंपल को मिलाकर एक जांच कराई जाती है। अगर इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो सभी की जांच अलग-अलग होती है। रिपोर्ट निगेटिव होती है तो सभी को एक ही जांच से क्लीन चिट मिल जाती है। डॉ. अनिल कुमार ने इसी तरह का टेस्ट कराने का सुझाव जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को भी दिया है।
घनी आबादी वाले इलाके में संक्रमण के खतरे को महसूस करते हुए हर घर को एक ग्लव्स, सेनेटाइजर, मास्क समेत अन्य सामान की एक किट उपलब्ध कराने का प्रस्ताव तैयार किया। डीआईजी अनंत देव समेत अन्य अफसरों ने इसे हरी झंडी दे दी है। इसके अलावा पुलिस कर्मियों को भी किट उपलब्ध कराने, पुलिस लाइन में क्वारंटीन सेंटर बनाने का प्रस्ताव भी डॉ. अनिल का ही था।
डॉ. अनिल कुमार, एसपी पश्चिम कहते हैं मुझे इस विषम परिस्थिति में वर्दी के साथ ही एक डॉक्टर होने का भी फर्ज निभाने का मौका मिला है। इसके चलते पूरे विभाग को संक्रमण से बचाने, शहर के हॉटस्पॉट को सुरक्षित रखने के साथ ही कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर काम कर रहा हूं।