UP Bureau, TFN: लॉकडाउन के दौरान मुजफ्फरनगर थाने में तैनात आरक्षी रिंकू कुमार के तीन साल के बेटे की अचानक मौत हो गई। वह मेरठ बेटे के अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे लेकिन कोरोना के संकट को देखते हुए उन्होंने चार दिन बाद ही ड्यूटी ज्वाइन कर ली। किसी भी पिता के लिए इससे बड़ा सदमा शायद ही हो कि परिवार पर टूटे इस गम के पहाड़ में उनके साथ न हो। लॉकडाउन के दौरान मुजफ्फरनगर थाने में तैनात आरक्षी रिंकू कुमार के इकलौते बेटे हार्दिक की अचानक तबियत खराब हुई।
एसओ सूबे सिंह से छुट्टी लेकर वह मेरठ गए। वहां बीमार बेटे को निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया। लेकिन तीन वर्षीय बेटे ने 15 अप्रैल को दम तोड़ दिया। बेटे के अंतिम संस्कार के लिए वह मेरठ पहुंचे लेकिन रिंकू ने देश सेवा के लिए वर्दी जो पहनी थी और इसका फर्ज वह कैसे भूल जाते, लिहाजा वह चार दिन बाद ही अपनी ड्यूटी पर लौट आए।
बेटे को खोने पर खुद रिंकू और पत्नी रजनी पर गम का पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन उन्होंने वैश्विक महामारी को इस सदमे से बड़ा बताते हुए बेटे के अंत्येष्टि ससुराल अब्दुल्लापुर मेरठ ही कर दी। लॉकडाउन की वजह से वह अपने पैतृक गांव सदुल्लापुर थाना हापुड़ भी नहीं जा पाए। अंतिम संस्कार की क्रियाएं पूरी कराकर अपने गांव जाए बिना ही लौट आये।
बकौल रिंकू उन्हें दुख की घड़ी में गमजदा पत्नी के साथ रहने को इमरजेंसी छुट्टी मिल जाती, लेकिन उन्हें घर के गम से ज्यादा कोरोना महामारी की चिंता सताती रही। उन्होंने चार दिन बाद आकर पुलिस सेवाओं के प्रति फर्ज निभाया।
उन्होंने राष्ट्र हित मे पत्नी और एक साल की बेटी को ससुराल मेरठ छोड़कर थाने में ड्यूटी जॉइन कर ली। कहा कि परिवार से बड़ा राष्ट्र का संकट है। एसओ ने आरक्षी के जज्बे की सराहना की है। कहा कि बड़ी इमरजेंसी होने के बावजूद रिंकू ने जल्द ड्यूटी पर आकर अपनी निष्ठा और समर्पित सेवाओं का परिचय दिया है।