नई संसद पर राजनीतिक घमासान जारी है. विपक्षी दलों के नेता नई संसद का राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने को लेकर सियासी दांवपेंच चल रहे है, उधर ये मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है. नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. इस पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने जो शेड्यूल जारी किया है- उसके मुताबिक आज सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 5 में इस याचिका पर सुनवाई होगी.
याचिका पर जस्टिस जे के माहेश्वरी और पी एस नरसिम्हा की अवकाशकालीन बेंच सुनवाई करेगी. याचिका सी आर जयासुकिन नाम के वकील ने दाखिल की है.
21 पार्टियों ने उद्घाटन से बाहर रहने का किया है ऐलान
जब से नए संसद भवन के उद्घाटन की तारीख सामने आई है, तभी से कई विरोधी दल पीएम मोदी से इसके उद्धाटन पर सवाल उठा रहे हैं और इसी वजह से चलते इनॉगरेशन में नहीं जाने का फैसला किया है. कम से कम 21 पार्टी ऐसी हैं, जिन्होंने नई संसद के उद्घाटन समारोह से दूरी बनाने का फैसला किया है.
विपक्षी दलों की तरफ से न सिर्फ समारोह के बहिष्कार का प्लान है बल्कि कई बेसिर पैर की बातें भी कही जा रही हैं. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने तो ये तक कह दिया कि उनकी सरकार बनी तो संसद का इस्तेमाल दूसरे काम के लिए करेंगे. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने इस पर जवाब दिया और कहा, “देश में सपने देखने पर कोई पाबंदी नहीं है. 2024 में भी देश की जनता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाएगी. किसी भी तरह से संसद को राजनीति का आखाड़ा बनाना गलत है लेकिन ये क्या बयान है कि हम सत्ता में आए तो ये करेंगे, हम वो करेंगे, देश उनको मौका देने वाला नहीं.”
कांग्रेस में भी एक राय नहीं
नई संसद के उदघ्टान का बहिष्कार करने जा रही कांग्रेस के नेताओं में तो एकराय ही नहीं दिख रही. कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “संसद भवन ‘भाजपा’ का नहीं पूरे देश का है, मोदी का विरोध तो ठीक है लेकिन ‘देश’ का ‘विरोध’ ठीक नहीं.
विरोध से ज्यादा समर्थन में दल
नई संसद के उद्घाटन के बहिष्कार की विपक्ष की मुहिम कमजोर होती दिख रही है जितने दल प्रधानमंत्री के हाथों नई संसद के उदघाटन का विरोध कर रहे हैं, उससे ज्यादा दल समर्थन में आ गए हैं.
समर्थन में ये दल
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के राजनीतिक दल जो 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेंगे, उनमें शिवसेना (एकनाथ शिंदे), नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, जन-नायक पार्टी, एआईएडीएमके, आईएमकेएमके, एजेएसयू, आरपीआई, मिजो नेशनल फ्रंट, तमिल मनीला कांग्रेस, आईटीएफटी (त्रिपुरा), बोडो पीपुल्स पार्टी, पट्टाली मक्कल कच्ची, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, अपना दल और असम गण परिषद शामिल हैं.
गैर-एनडीए वाले समर्थक दल
इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले गैर-एनडीए दलों में लोक जनशक्ति पार्टी (पासवान), ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बीजेडी, यूपी की पूर्व सीएम मायावती की बसपा, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी, पंजाब का शिरोमणि अकाली दल और पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा की जेडीएस शामिल हैं. एचडी देवेगौड़ा खुद समारोह में शिरकत करेंगे. उन्होंने कहा कि ये भव्य भवन देश की जनता के पैसों से बनाया गया है. यह देश का है, बीजेपी या आरएसएस का नहीं है.
मायावती की पार्टी बीएसपी खुलकर सरकार के साथ आ गई है. बीएसपी ने कहा है कि सरकार को उदघाटन का हक है. नए संसद भवन के उद्घाटन पर बीएसपी सांसद मलूक नागर ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है.