नई दिल्ली: कांग्रेस ने राजधानी दिल्ली में एक साल के भीतर हुई हिंसा की दो घटनाओं के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को जिम्मेदार बताते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि , “दिल्ली में किसान आंदोलन की आड़ में हुई सुनियोजित हिंसा व अराजकता के लिए सीधे-सीधे गृहमंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं।“ उन्होने कहा कि “तमाम खुफिया इनपुट के बावजूद हिंसा के तांडव को ना रोक पाने में नाकामी के चलते उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं।“ सुरजेवाला ने कहा कि सालभर के भीतर राष्ट्रीय राजधानी में दूसरी बार हुई इस हिंसा को रोक पाने में बुरी तरह विफल रहने वाले अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो “साबित हो जाएगा कि अमित शाह से इस पूरे हिंसा में देश के प्रधानमंत्री की प्रत्यक्ष मिलीभगत है।“
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि, “आज़ादी के 73 सालों में यह पहला मौका है, जब कोई सरकार लाल किले जैसी राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा करने में भी पूरी तरह नाकाम रही है। किसानों के नाम पर साज़िश के तहत चंद उपद्रवियों को लाल किले में घुसने दिया गया और दिल्ली पुलिस कुर्सियों पर बैठी आराम फरमाती रही। बीजेपी के करीबी और मोदी-शाह के चेले, दीप सिद्धू की पूरे समय लाल किले में मौजूदगी, इस उपद्रव में मौजूदगी, किसान आंदोलन को बदनाम करने की एक सुनियोजित साजिश है और अब स्थिति ‘उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’ वाली है।“ कांग्रेस ने कहा कि कि इस मामले में उपद्रवियों पर मुकदमा दर्ज करने के बजाए संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं पर एफआईआर होना उपद्रवियों के साथ बीजेपी सरकार के गठजोड़, मिलीभगत और साजिश को साबित करती है।
कांग्रेस ने कहा कि बीते 2 माह से अन्नदाता दिल्ली के दरवाजे पर तीन खेती विरोधी काले कानून वापस लेने के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। मोदी सरकार जब उन्हें ‘बलपूर्वक’ नहीं हटा पाई, तो उन्हें छलपूर्वक हटाने का षडयंत्र करने लगी। सुरजेवाला ने कहा कि, “ये है मोदी सरकार का असली षडयंत्रकारी चेहरा।”
सुरजेवाला ने पूरे मामले पर कुछ बिंदु और सवाल सामने रखे:
- सवाल यह है कि जो किसान 63 दिन से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, अचानक से ऐसा क्या हुआ, जो वो बिफर गए?
- अगर सरकार 10 दौर की बातचीत करने का ड्रामा करे, किसानों की समस्याओं के समाधान की बजाय व्यवधान करे और किसान आंदोलन को बदनाम करने पर जोर रखे, तो सरकार की साज़िश क्या साफ नहीं?
- सीधा सा सवाल है कि केवल 30, 40, 50 ट्रैक्टर लेकर उपद्रवी लाल किले में कैसे घुस गए?
- यह किसकी असफलता है, अमित शाह जी? इसका जिम्मेदार कौन है?
- लाल किला तो हमारी आजादी का प्रतीक है। कांग्रेस के लाखों रणबांकुरों ने कुर्बानी दी और जेल काटी इसी तिरंगे के लिए। देश के किसान और गरीब के लिए लाल किला और तिरंगा सर्वमान्य है, तो 500-700 हिंसक तत्व लाल किले में कैसे घुस सकते हैं? जो दीप सिद्धू प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के साथ फोटो खिंचवा कर बैठक सांझा करता है, उसे और उसके समर्थकों को लाल किले तक जाने की अनुमति किसने दी?
- चाहे परिस्थिति कोई भी हो, मोदी सरकार को यह तो बताना पड़ेगा कि इतनी आसानी से कोई भी हिंसक समूह लाल किला, जो हमारे प्रजातंत्र का सिंबल है, वहाँ तक पहुंचा कैसे? लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर झंडा कैसे लगा सकता है? क्या यह साफ नहीं दिखा कि पुलिस कुर्सियों पर बैठकर तमाशा देख रही थी और टेलीविजन कैमरों का मुंह लाल किले की प्राचीर की तरफ मुड़वा रखा था? क्या ये सच्चाई नहीं?
- किसानों के मुताबिक कल तक 178 किसान इस आंदोलन में दम तोड़ गए। किसानों को हिंसा ही करनी होती, तो लाखों किसान 63 दिन से हाड़ कंपकपाती सर्दी में दिल्ली की सीमा पर शांतिप्रिय तरीके से सत्याग्रह कर न्याय की गुहार क्यों लगा रहे हैं? ये तो पहले दिन हो सकता था।
- क्या हिंसा का वातावरण बना यह सब किसान आंदोलन को बदनाम करने की मोदी सरकार की साजिश नहीं? क्या यह दिल्ली दंगों, शाहीन बाग, सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों, जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों वाले प्रकरण की पुनरावृत्ति नहीं?
- आखिरी बिंदू, कल जो हुआ उससे किसको फायदा और किसे नुकसान हुआ? इसी में सारे जवाब छुपे हैं। किसानों को मिल रहे देशव्यापी जन समर्थन को विरोध में बदलना कौन चाहता था और ऐसी कोशिश लगातार कौन कर रहा था? क्या मोदी सरकार और बीजेपी ये नहीं कर रही थी? तो, सरकार प्रायोजित भड़काऊ बयानों, वीडियो, संदेशों आदि से उत्तेजित होने की बजाए देश इन बिंदुओं का जवाब मोदी जी और अमित शाह जी से मांगता है।
सुरजेवाला ने कहा कि, “कल जो हुआ, वह पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से किया गया काम है। पर यह योजना किसानों की नहीं, बल्कि आंदोलन को बदनाम करने की योजना और साजिश है, जिसे सीधे-सीधे मोदी सरकार का समर्थन और संरक्षण प्राप्त है। सच्चाई यही है।“ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि “हमारी अपील है कि मोदी सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करने की बजाय समाधान पर जोर दे। बगैर देरी के तीनों खेती विरोधी काले कानूनों को वापस लें, ताकि किसान-मजदूर अपने खेत खलिहान में लौटकर देश के लिए सोना पैदा कर, देश का पेट पाल सके। यही राजधर्म है, यही राष्ट्रभक्ति है और यही राष्ट्रप्रेम भी है।“