एजेंसी: आतंक की नर्सरी बन चुका पाकिस्तान आर्थिक तंगहाली के कगार पर पहुंच चुका है। अपने स्वार्थ के लिए उसने कश्मीर से अफगानिस्तान तक दहशत की इंडस्ट्री फैलाता रहा और उसका आर्थिक ढांचा ढहता चला गया। हालत यह है कि असके पास अपने ही पाले गए आतंकियों को हथियार देने को पैसे नहीं हैं। ऐसे में आतंकिस्तान ने उन्हें एके 47 और एम-16 राइफलों के स्थान पर पाकिस्तान की अवैध फैक्ट्रियों में बने हथियार थमाना आरंभ कर दिया है। पाकिस्तान में अपने पश्श्चिमोत्तर प्रांत,पेशावर और डेरा इस्माईल खान में ऐसी अवैध हथियार फैक्ट्रियां चल रही हैं। अलबत्ता,पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियाें ने इस मामले पर अधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से इन्कार किया है।
एक माह के दौरान में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे इलाकों में सरहद पार से भेजे गए भारी माह में हथियार बरामद हुए हैं। संबधित सूत्रों ने बताया कि 9 सितंबर को जवाहर सुरंग के पास एक ट्रक से बरामद दो एसाल्ट राइफलें और छह पिस्ताैल मिली थीं। यह पाकिस्तान की अवैध हथियार फैक्ट्रियों मे निर्मित थे। इसी तरह 10 सितंबर को उड़ी में बरामद दाे एम-16 राइफलें भी असली एम-16 राइफलों की नकल थीं। मई में मारे गए हिजबुल के एक नामी कमांडर से मिली क्रेनकोव राइफल भी असली की नकल ही थी। गत दिनों उत्तरी कश्मीर के नौगाम सेक्टर में बरामद 95बी कार्बाइन भी पाकिस्तान की इनहीं आतंक की फैक्ट्रियों में बनी हुई बताई जा रही है। पंजाब के अबाेहर में बीते सप्ताह मिले हथियार असली हथियारों की नकल कर बनाए गए हैं।
अफगानिस्तान के साथ सटे पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में ऐसी कई अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं। वहां हथियारों के बाजार लगते हैं। इनका नियंत्रण तालीबान जैसे आतंकी संगठनों के पास है, जिन्हें पाकिस्तानी सेना का आश्रय-संरक्षण दोनों प्राप्त हैं। इन फैक्ट्रियों में असली एसाल्ट राइफलों की नकल की राइफलें तैयार होती हैं। पुर्जे चीन से आ जाते हैं। पाकिस्तान आतंकियों को इन्हें असली हथियार बताकर थमा देता है। हां, कई बार इनमें तकनीकी गड़बड़ी में वे उलझ जाते हैं।
जम्मू कश्मीर के सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी अशकूर वानी के मुताबिक चीन या किसी अन्य मुल्क में बनी एसाल्ट राइफल की कीमत से यह अवैध हथियार लगभग आधी कीमत पर मिल जाते हैं। यह सस्ती हैं और अगर यह कहीं पकड़ी भी जाती हैं तो आर्थिक तौर पर आतंकी संगठन या आइएसआइ काे बड़ा नुकसान नहीं होगा। काेई विशेषज्ञ ही दाेनाें में अंतर को पकड़ सकता है। यही वजह है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और गुलाम कश्मीर में बैठे आतंकी संगठन इन अवैध हथियारों को नए आतंकियों को थमा देते हैं। निश्चित तौर पर पाकिस्तान इनके माध्यम से दहशत फैलाने का नेटवर्क बढ़ाना चाहता है।