MP Bureau: मध्यप्रदेश सरकार ने बीजेपी नेता और टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद के बेटे आदित्य शंकर को को सुप्रीम कोर्ट में अपना स्थायी वकील नियुक्त कर दिया है, जो इस पद के लिए योग्य भी नहीं हैं। इस पद के लिए बार काउंसिल द्वारा आयोजित एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड (एओआर) परीक्षा पास करनी होती है लेकिन आदित्य ने यह परीक्षा पास नहीं की है।
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के सीनियर लीडर के बेटे को मध्य प्रदेश (एमपी) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना स्थायी वकील बनाया है।केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद के बेटे आदित्य शंकर को एमपी सरकार ने स्थायी वकील (स्टैंडिंग काउंसिल) बना दिया है, जबकि वह इस योग्य नहीं है।नियम के मुताबिक इस पद पर नियुक्ति पाने वाले व्यक्ति को बार काउंसिल द्वारा आयोजित ऐडवोकेट ऑन रेकॉर्ड (एओआर) परीक्षा पास करना जरूरी है, लेकिन आदित्य ने यह परीक्षा पास नहीं की है।
नियुक्ति के खिलाफ आवाज उठने लगी
नियम के विरुद्ध हुई इस नियुक्ति के खिलाफ आवाज उठने लगी है। सुप्रीम कोर्ट में एमपी सरकार के स्थायी वकील रहे बीएस बांठिया ने नियुक्ति पर ऐतराज जताते हुए कहा कि जिस व्यक्ति के पास इस पद की योग्यता ही नहीं है, उसे यह जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है?उन्होंने कहा कि आदित्य शंकर को ये पद योग्यता के आधार पर नहीं पर बल्कि मंत्री रविशंकर प्रसाद के बेटे होने के कारण मिला है।इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की स्थायी वकील विभा दत्ता माखीजा थी। मखीजा की आदित्य शंकर की नियुक्ति की गई है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की स्थायी वकील विभा दत्ता माखीजा की जगह नई नियुक्ति की प्रक्रिया पिछले दिनों शुरू हुई थी जिसकी खोज आदित्य शंकर के नाम पर खत्म हुई। बताया जाता है कि राज्य के विधि विभाग ने आदित्य के एओआर पास नहीं करने के कारण ऐतराज किया था लेकिन आदित्य शंकर की बैक डोर एंट्री करवा दी गई। ऐडवोकेट बांठिया ने कहा कि योग्यता नहीं होने के कारण नए स्थायी वकील सुप्रीम कोर्ट में केस भी फाइल नहीं कर सकते।
वहीं इस मुद्दे पर कानून के जानकारों का कहना है कि आदित्य को मुकदमा दायर करने के लिए भी किसी एओआर का सहयोग लेना पड़ेगा। हालांकि इस नियुक्ति के बारे में विधि विभाग के प्रमुख सचिव वीरेंद्र सिंह ने किसी प्रकार की टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया।