बागपत: केन्द्र सरकार 4 साल के जश्न में डूबने को आतुर है। पोस्टरों में किसान हंसता खेलता नजर आ रहा है लेकिन हकीकत कुछ ही है। उत्तर प्रदेश के बागपत में 27 मई को पीएम नरेन्द्र मोदी की रैली होनी है। उससे एक दिन पहले तहसील परिसर में एसडीएम ऑफिस के सामने गन्ना भुगतान की मांग कर रहे किसान की मौत ने पुलिस-प्रशासन की नींद उड़ा दी है। बताया जा रहा है कि किसान पिछले कई दिनों से बड़ौत तहसील में धरने पर बैठे है।
गन्ना भुगतान की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से किसान धरने पर बैठे थे। लेकिन अधिकारियों ने धरने पर आकर किसानों से बात करना तक गंवारा नहीं समझा। किसानों की जब मांग पूरी नहीं हुई तो उन्होंने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। गन्ना किसान भीषण गर्मी में भी धरने पर बैठे रहे। धरने पर बैठे किसान उदयवीर की हालत बिगड़ने पर उनकी मौत हो गई। उदयवीर की मौत से नाराज किसानों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर हंगामा किया और शव को उठने नहीं दिया। बता दें कि दो किसान की भी हालत खराब हो गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। किसान के शव को रखकर किसानों जमकर हंगामा किया। किसान की मौत की सूचना पर पहुंचे अधिकारियों ने किसान से वार्ता करने का प्रयास किया, लेकिन किसान वार्ता करने के लिए तैयार नहीं है। किसानों ने उदवीर के शव का भी पोस्टमॉर्टम कर वाने से इंकार कर दिया है।
गौरतलब है कि बड़ौत में किसान संघर्ष समिति के बैनर तले पिछले पांच दिनों से बिजली के बढ़े बिल और गन्ने के बकाया भुगतान को लेकर क्षेत्र के किसान धरने पर बैठे थे। किसानों का कहना था कि पिछले दो साल से घरेलू बिजली का रेट चार गुना बढ़ा दिया गया है और नलकूप का बिजली भार 100 हॉर्स पावर से 180 हॉर्स पावर कर दिया गया है, वहीं बिजली बिल पर इस वर्ष मार्च में पेनाल्टी ब्याज की छूट नहीं दी गई और न ही किसानों को इस सत्र का गन्ना भुगतान मिला है। इसी वजह से किसान बढ़े हुए बिल का भुगतान करने में असमर्थ है।